Front Running Case: क्वांट म्यूचुअल फंड के 79 लाख रिटेल निवेशकों के लिए ये खबर बहुत जरूरी है

Quant Mutual Fund Front-Running Case:सेबी ने फ्रंट-रनिंग केस को लेकर फंड हाउस के मुंबई हेडक्वार्टर और हैदराबाद में इसके स्वामित्व वाली जगहों पर छानबीन और जब्ती की है। इससे निवेशकों को घबराने की जरूरत है क्या?

Quant Mutual Fund Front-Running Case:सेबी ने फ्रंट-रनिंग केस को लेकर फंड हाउस के मुंबई हेडक्वार्टर और हैदराबाद में इसके स्वामित्व वाली जगहों पर छानबीन और जब्ती की है। इससे निवेशकों को घबराने की जरूरत है क्या? 

 

निवेशकों को क्या करना चाहिए

क्वांट म्यूचुअल फंड में सेबी की जांच एक गंभीर मामला है, लेकिन रिटेल निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। सेबी के साथ सहयोग और पारदर्शिता के लिए फंड हाउस की प्रतिबद्धता एक सकारात्मक संकेत है। इससे यह पता चलता है कि क्वांट म्यूचुअल फंड इस समस्या को हल करने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है।

क्वांट म्यूचुअल फंड की ग्रोथ

क्वांट म्यूचुअल फंड 27 फंड्स को मैनेज करता है। इसकी कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹84,000 करोड़ है और इसके पास 79 लाख फोलियो हैं। फंड की ग्रोथ के आंकड़े पिछले कुछ वर्षों में एयूएम और फोलियो की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दिखाते हैं।

दिसंबर 2019 में इसका एयूएम ₹166 करोड़ था और फोलियो की संख्या 19,829 थी। जबकि, दिसंबर 2020 में यह बढ़कर ₹488 करोड़ हो गया और फोलियो की संख्या करीब तीन गुना बढ़कर 58,737 हो गई। दिसंबर 2021 में एयूएम ₹5,455 करोड़ हो गया और फोलियो 6,79,559 हो गए। दिसंबर 2022 में एयूएम ₹17,228 करोड़ और फोलियो 19,39,220 हो गए। मई 2024 में एयूएम ₹84,000 करोड़ से ज्यादा और फोलियो 79,00,000 हो गए।

कौन-कौन से फंड

संदीप टंडन क्वांट म्यूचुअल फंड के तहत कई प्रमुख योजनाओं का प्रबंधन करते हैं, जिनमें ₹2,400 करोड़ का क्वांट मल्टी एसेट फंड, ₹6,272 करोड़ का क्वांट फ्लेक्सी कैप फंड, ₹2,409 करोड़ का क्वांट क्वांटामेंटल फंड और ₹1,808 करोड़ का क्वांट वैल्यू फंड शामिल हैं। इनके अलावा क्वांट लार्ज कैप फंड है, जिसका साइज ₹1,168 करोड़ का है।

क्वांट डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड का साइज ₹1,148 करोड़, क्वांट बिजनेस साइकिल फंड ₹1,277 करोड़ का है। अन्य फंड्स में क्वांट बीएफएसआई फंड ₹560 करोड़, क्वांट हेल्थकेयर फंड ₹287 करोड़, क्वांट मैन्युफैक्चरिंग फंड ₹787 करोड़, क्वांट मोमेंटम फंड ₹1,920 करोड़, क्वांट कमोडिटीज फंड ₹368 करोड़, क्वांट कंजम्पशन फंड ₹262 करोड़ और क्वांट पीएसयू फंड ₹884 करोड़ का है।

फ्रंट-रनिंग का यह मामला पहला नहीं है

म्यूचुअल फंड उद्योग में फ्रंट-रनिंग के आरोप और सेटलमेंट का यह मामला पहला नहीं है। क्वांट म्यूचुअल फंड से पहले भी कई कंपनियों पर ये आरोप लगे हैं।

आदित्य बिड़ला एमएफ (अप्रैल 2024): सेबी ने चार संस्थाओं को ₹3 करोड़ का भुगतान और छह महीने की रोक लगाने के साथ मामले का निपटारा किया।
एक्सिस म्यूचुअल फंड (मार्च 2023): सेबी ने वीरेश जोशी और 20 अन्य को कैपिटल मार्केट में बैन कर ₹30.5 करोड़ का मुनाफा जब्त किया।
ड्यूश म्यूचुअल फंड (दिसंबर 2021): फंड मैनेजर आकाश सिंघानिया और उनके माता-पिता ने ₹5 करोड़ का पेमेंट करके सेबी के साथ मामले का निपटारा किया।
एचडीएफसी एएमसी (सितंबर 2019): दो संस्थाओं ने ₹10 करोड़ का पेमेंट करके 12 साल पुराना मामला सुलझाया।

फ्रंट-रनिंग और उसका प्रभाव

अगर व्यक्तिगत लाभ के लिए गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करके सचमुच में फ्रंट-रनिंग हुई है, तो इससे बाजार की निष्पक्षता कमजोर होती है। ऐसे में क्वांट म्यूचुअल फंड के यूनिट होल्डर्स के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

फंड मैनेजमेंट: फ्रंट-रनिंग के आरोप सही होने पर भी फंड की अंडरलेइंग एसेट या मैनेजमेंट की स्ट्रैटजी पर असर नहीं पड़ता। फंड का नेट एसेट वैल्यू (NAV) इन आरोपों से सीधे प्रभावित नहीं होता।
लिक्विडिटी और एग्जिट लोड: क्वांट म्यूचुअल फंड ने आश्वासन दिया है कि इसकी योजनाओं में लिक्विडिटी कोई मुद्दा नहीं है। रिडेम्पशन करने वाले निवेशकों को एग्जिट लोड और संभावित टैक्स प्रभावों के बारे में ध्यान रखना चाहिए।
रिस्क एसेसमेंट: रिटेल निवेशकों को फंड से बाहर निकलने का एकमुश्त निर्णय लेने के बजाय अपनी जोखिम प्रोफाइल और अपनी विशेष स्कीम के प्रदर्शन का आकलन करना चाहिए।
लांग टर्म क्रेडिबिलिटी: क्वांट म्यूचुअल फंड की लांग टर्म क्रेडिबिलिटी जोखिम में हो सकती है, जबकि तत्काल वित्तीय प्रभाव कम हो सकता है।

फ्रंट-रनिंग को रोकने के लिए क्या कर रहा सेबी

सेबी ने म्यूचुअल फंड विनियमों में संशोधन को अप्रैल 2024 में मंजूरी दी। इसका उद्देश्य फ्रंट-रनिंग और धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन को रोकने के लिए एक सिस्टम स्थापित करना था

फ्रंट-रनिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें कोई दलाल या अंदरूनी व्यक्ति, जिसे किसी बड़े निवेशक के खरीदने या बेचने के ऑर्डर के बारे में पहले से जानकारी होती है, उस जानकारी का गलत फायदा उठाता है। ये व्यक्ति उस निवेशक से पहले ही वही शेयर खरीदता या बेचता है, ताकि कीमत में होने वाले बदलाव का फायदा उठा सके।

मान लो कि कोई बड़ा निवेशक किसी कंपनी के शेयर खरीदने वाला है। अगर कोई दलाल इस जानकारी को जानता है, तो वह उस बड़े निवेशक से पहले ही वही शेयर खरीद लेता है। जब बड़े निवेशक के ऑर्डर से शेयर की कीमत बढ़ती है, तो दलाल उस शेयर को ऊंचे दाम पर बेचकर मुनाफा कमाता है। इससे बड़े निवेशक और सामान्य निवेशकों को नुकसान होता है और बाजार की निष्पक्षता पर असर पड़ता है।

फ्रंट-रनिंग की जांच के समय निवेशकों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:

1. **घबराएं नहीं**: किसी भी प्रकार की जांच के दौरान तुरंत घबराएं नहीं। ऐसे मामलों में संयम बनाए रखें।

2. **जानकारी रखें**: अपने फंड हाउस की स्थिति और सेबी की जांच के बारे में जानकारी प्राप्त करें। फंड हाउस द्वारा जारी किसी भी आधिकारिक सूचना पर ध्यान दें।

3. **फंड की पारदर्शिता देखें**: देखें कि आपका फंड हाउस सेबी के साथ कितना सहयोग कर रहा है और कितनी पारदर्शिता दिखा रहा है। यह फंड हाउस की विश्वसनीयता का संकेत हो सकता है।

4. **लिक्विडिटी और एग्जिट लोड**: यदि आप अपने निवेश को निकालना चाहते हैं, तो एग्जिट लोड और संभावित टैक्स प्रभावों के बारे में जानकारी रखें।

5. **रिस्क एसेसमेंट**: बिना सोचे-समझे अपने निवेश को तुरंत निकालने के बजाय अपनी जोखिम प्रोफाइल और अपनी विशेष स्कीम के प्रदर्शन का आकलन करें।

6. **लांग टर्म सोचें**: लंबे समय तक निवेशित रहने की योजना बनाएं। सेबी की जांच का तुरंत वित्तीय प्रभाव कम हो सकता है, लेकिन फंड की लांग टर्म क्रेडिबिलिटी पर नजर रखें।

7. **सलाह लें**: यदि आप बहुत चिंतित हैं, तो किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। वे आपको सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं।

8. **डॉक्यूमेंटेशन रखें**: अपने सभी निवेश संबंधी दस्तावेज़ों को संभाल कर रखें। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी या वित्तीय मुद्दे में मदद मिल सकती है।

 

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